देहरादून । पूर्व सीएम हरीश रावत इशारों इशारों में दिल्ली से लेकर देहरादून तक कॉंग्रेस के लगभग सभी बड़े नेताओं पर नेताओं पर जाने अनजाने उनकी राजनैतिक कूटनीति को समझ नही पाने का आरोप लगाकर सहानभूति लेते रहते है । लेकिन अब सोशल मीडिया को हथियार बनाकर विरोधियों पर निशाना साधने की कला में पारंगत हरदा पर स्वयं उनके पुत्र व पूर्व प्रदेश युवा कॉंग्रेस अध्यक्ष आनन्द सिंह रावत ने आरोप लगाकर किया है हमला । और वो भी उनकी ही परिपाठी सोशल मीडिया पोस्ट से, जिसमें उन्होने पिता हरीश रावत पर उन्हे येड़ा समझने का आरोप लगया है ।
हालांकि इस चर्चित फेस बुक पोस्ट में उन्होने युवाओं के रोजगार को लेकर उत्तराखंड की सभी सरकारों को लेकर आलोचनात्मक टिप्पणी की । लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है कि उन्होने अपनी पोस्ट पिता पूर्व सीएम हरीश रावत को उन्हे येड़ा (हमारी समझ अनुशार येड़ा यानि बेवकूफ ) समझने का आरोप लगाकर समाप्त की । इस पोस्ट के अन्त पिता को सम्बोधित करते हुए लिखा “मेरे पिताजी मेरे चिन्तन व विचारों से परेशान रहते है, शायद उन्होंने हमेशा मेरी बातें एक नेता की दृष्टि से सुनी और मुझे येड़ा समझा ” । हरीश रावत ने उनकी इस पोस्ट का भी अपनी भुगतभोगी शैली में जबाब देते हुए खुद को वक्त का मारा बता डाला ।
क्या और क्यूँ है आनन्द रावत की पिता हरदा से नाराजगी, इसके पर चर्चा अगली खबर में फिलहाल पढिए आनन्द रावत की यह चर्चित फेस बुक पोस्ट …….
” skill+ communication सफलता का मूलमंत्र है । प्रदेश के आईटीआई, पॉलीटेकनिक व सॉफ़्टवेयर इंजीनीयर लड़के और लड़कियाँ, उत्तराखंड के आधूनिक शिल्पकार है, और इनकी दक्षता पूरे विश्व में बुलंदी के झण्डे गाड़ सकती है ।
सवाल है कि “ ये कैसे सम्भव हो “ ?
हमारे नेताओं ने प्रदेश में 72 पॉलीटेकनिक व 48 आईटीआई
तो खोल दिए, जो पूरे भारत में सबसे अधिक किसी राज्य में है, और प्रति वर्ष 20 हज़ार स्किल्ड (skilled ) लड़के और लड़कियाँ बाज़ार में नौकरी के लिए तयार हो भी रहे है ।
सिडकुल (sidcul) में अनुभवी पॉलीटेकनिक पास युवा को प्रतिमाह रुपे 12974 (बारह हज़ार नौ सौ चौहतर मात्र )और अनुभवी आईटीआई पास युवा को प्रतिमाह रुपे 10340 (दस हज़ार तीन सौ चालीस मात्र) मिलते है ।
जबकि केरल में पॉलीटेकनिक की संख्या 42 और आईटीआई 35 के आसपास है और वहाँ की न्यूनतम आय दक्ष कारीगर के लिए 22 हज़ार है । क्योंकि वहाँ का युवा विदेश में नौकरी करने का इच्छुक अधिक होता है, इसीलिए वहाँ माँग अधिक है ।
केरल की सरकार skill + communication पर ज़ोर देती है और अपने अनुभवी कारीगरी में दक्ष युवाओं को अन्तरराष्ट्रीय बाज़ार में भी रोज़गार उपलब्ध कराती है । जैसे उत्तराखंड सरकार ने उपनल एजेन्सी सरकारी विभाग में नौकरी देने के लिए बनायी है, ऐसे केरल सरकार ने नोरका रूट्स एजेन्सी बनायी है, जो विदेशों में स्किल्ड (skilled ) युवाओं को रोज़गार दिलाती है ।
कनाडा में स्किल्ड युवा मतलब पॉलीटेकनिक व आईटीआई पास युवा साल के 46800 डॉलर कमाता है जो प्रतिवर्ष बत्तीस लाख के आस पास होता है और इसी अनुपात में जापान, ताइवान व खाड़ी देशों में भी कमाता है ।
अब फिर सवाल वही है कि “ करेगा कौन “
आपके नेता तो अपने समर्थकों को उनके जन्मदिन पर बधाई या किसी परिचित के शोक संदेश वाले पोस्ट करने में व्यस्त है, और आप लोग उनके क्रियाकलाप से ख़ुश हो ?
चाहे हरीश रावत जी हो या किशोर उपाध्याय जी या फिर युवा नेता विनोद कंडारी, सुमित हृदेश, रितु खण्डूरी सबके Facebook पर आपको इसी तरह की पोस्ट मिलेगी, लेकिन राज्य चिन्तन पर कुछ नहीं मिलेगा ?
मेरे पिताजी मेरे चिन्तन व विचारों से परेशान रहते है, शायद उन्होंने हमेशा मेरी बातें एक नेता की दृष्टि से सुनी और मुझे येड़ा समझा । “
(उपरोक्त्त कथन आनन्द सिंह रावत की सोशल मीडिया पोस्ट से लिये गये है )