पीएम मोदी की रैली की टक्कर में आयोजित कॉंग्रेस की पहली चुनावी सभा का रंग उस समय फीका पड़ गया जब बड़ी संख्या में लोग राहुल गांधी को बिना सुने ही वापिस लोट गए | हरीश रावत समेत स्थानीय नेताओं के भाषण के तुरुन्त बाद लोगों के जाने से एक मर्तबा फिर साबित हो गया कि भीड़ और वोट के फासले को पाटना कॉंग्रेस के लिए अभी भी टेढ़ी खीर है |
उत्तराखंड में विधानसभा 2022 चुनाव की तैयारियों को लेकर भाजपा के बाद अब कॉंग्रेस ने भी राहुल गांधी की रैली के साथ शंखनाद कर दिया है | कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में उमड़ी भीड़ को लक्ष्य बनाकर आयोजित की गयी इस सैन्य सम्मान रैली का समापन कॉंग्रेस की चिंता बड़ा गया | राजनीति को बारीकी से परखने वालों का कहना है कि भीड़ के तराजू को परे रख कर जिस तरह लंबे समय बाद राज्य कॉंग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश देखा गया वह काबिलेतारीफ रहा | लेकिन कोंग्रेसी दिग्गजों के लिए रैली का सारा मजा तब किरकिरा हो गया जब राहुल गांधी के सम्बोधन के 5 मिनट बाद ही बड़ी संख्या में लोग मैदान से खिसकने लगे | जाने वाले लोगों में कोई जल्दी जाने का कारण भोजन का समय होना बता रहा था, तो किसी को अपने स्थानीय नेता को ही शक्ल दिखानी थी| किसी का दोस्त इंतजार कर रहा था तो किसी को सिर्फ राहुल गांधी को देखना था |
फिलहाल रैली से जल्दी लौटने के सवाल पर बेशक सबके अपने अपने तर्क हो लेकिन एक जबाब बिना कहे ही उनके चेहरों पर स्पष्ट नज़र आ रहा था कि उनके भीड़ से कोंग्रेसी वॉटर में बदलने का समय अभी बहुत दूर है |