अमेरिकी दौरे के बाद पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम ने एक बार फिर उत्तराखंडवासियों के लिए गर्व से सीना चौड़ा करने का मौका दिया है | रेडियो पर प्रसारित अपने इस मासिक कार्यक्रम में मोदी ने सियाचिन ग्लेशियर में ‘कुमार पोस्ट’ पर चढ़ाई कर विश्व कीर्तिमान स्थापित करने वाले जिन 8 दिव्यांग जनों का नाम लिया, उनमें एक नाम उत्तराखंड के अक्षत रावत का भी था | मोदी ने इस अभियान दल की सफलता को पूरे देश के लिए प्रेरणा बताया है।
यहाँ सबसे अधिक महत्वपूर्ण है कि इन 8 दिव्यांग जनों ने इसी महीने की 11 तारीख को सियाचिन ग्लेशियर में ‘कुमार पोस्ट’ पर चढ़ाई की है | यह चोटी 15,000 फीट से ज्यादा ऊंची है और इस पर दुनिया में एक साथ इतने दिव्यांग जनों का यह पहला सफल पर्वतारोहण अभियान एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है । भारतीय सेना भी इस दिव्यांगजनों टीम के सदस्यों के हौसलों और आत्मबल से चकित है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सम्बोधन में 8 दिव्यांगजनों की सियाचिन ग्लेशियर में 15,000 फीट ऊंची ‘कुमार पोस्ट’ को फतह को लेकर कहा है कि सब जानते हैं, सियाचिन ग्लेशियर में कितनी भयानक ठंड होती है, जहां टिकना आम इंसान के वश की बात नहीं होती। तापमान माइनस 60 डिग्री से भी नीचे तक चला जाता है, लेकिन ऐसी जगह पर देश के 8 दिव्यांग जनों ने जो कामयाबी हासिल की है पूरे देश के लिए गर्व करने वाली बात है। पीएम मोदी ने इन जांबाजों के नाम के साथ उनके राज्यों का भी परिचय दिया, जो इस प्रकार से है उत्तराखंड से अक्षत रावत, महेश नेहरा, महाराष्ट्र से पुष्पक गवाड़े, हरियाणा से अजय कुमार, लददक से लोब्सांग, तमिलनाडू से मेजर द्वारिकेश, कश्मीर से इरफान अहमद मीर, और हिमांचल से चोंजिन शामिल हैं |
गौरतलब है कि ऑपरेशन ब्लू फ़्रीडम अभियान के तहत सियाचिन में 7 सितंबर को 15,632 फिट ऊंची चोटी पर फतह के लिए 8 दिव्यांगजनों द्धारा चढ़ाई शुरू की गयी थी | इस टीम ने लगभग 60 किलोमीटर के इस चुनौतीपूर्ण अभियान को 5 दिन में पूरा कर वर्ल्ड रिकॉर्ड भी स्थापित किया | उन्हे ट्रेनिंग देने वाली सेना की टास्क फोर्स के लिए भी उनकी यह सफलता किसी अचरज से कम नहीं थी | क्यूंकी इस अभियान के सदस्य या दृष्टिबधित हैं या पैरों से विकलांग है |
फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि इन जाबांज दिव्यांग बहादूरों की ऐसी ही उपलब्धियों के लिए कहा जाता है ‘हौसलों की उड़ान’ | क्यूंकि इन्होने पैर और आँखें न होते हुए भी हिमालय सी चोटी को पार कर डाला |