समूची दुनिया में और खासकर देवभूमि उत्तराखंड में तो, भगवान की शरण में आए बिना कोई कार्य संभव नहीं है | अब इसी क्रम में चार धाम यात्रा को सुगम बनाने वाली आल वैदर रोड की राह में रोजाना आ रही नयी-नयी अड़चनों से घबराकर एनएच के अधिकारियों ने एक बार फिर लगायी है प्रभु से फरियाद | चुनावी साल में बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के जगह-जगह क्षतिग्रस्त होने से परेशान होकर पीडब्लूडी राष्ट्रीय राजमार्ग खंड के अधिकारियों ने धारी देवी मंदिर में की है विशेष पूजा-अर्चना |
केंद्र और राज्य सरकार की बहुप्रत्यासित आल वैदर रोड परियोजना का ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग के बीच कार्य अंतिम चरण में है । जिसके नब्बे फीसदी राजमार्ग का चौड़ीकरण होने के बाद डामरीकरण भी पूर्ण हो गया है | लेकिन इस वर्ष बेमौसम जगह-जगह बादल फटने, अधिक बारिश और भूस्खलन के चलते राजमार्ग का कार्य बारम्बार रुक रहा है। इससे जनता को होने वाली दिक्कतों के साथ, पीडब्लूडी का भी बहुत नुकसान हो रहा है । अभी 4 दिन पहले श्रीनगर-रुद्रप्रयाग के बीच अतिवृष्टि के कारण नरकोटा में राजमार्ग बुरी तरह से बंद हुआ । इससे पहले कलियासौड़ के पास बादल फटने से राजमार्ग के नवनिर्मित कल्वर्ट और पुस्ते बह गए थे । डेढ़ सप्ताह पहले पहले तोताघाटी में चट्टान गिरने से हाइवे अवरुद्ध हो गया था । इन तमाम परेशानियों के मद्देनजर पूर्ववृति अनुभवों से सबक लेते हुए प्रोजेक्ट के पीडब्लूडी अधिशासी अभियंता ने धारी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की ।
धरती के इन शिल्पियों का इस तरह श्रष्टि के रचियता की शरण में आने का यहाँ यह पहला वाकया नहीं है | इससे पूर्व भी अनेक महत्वपूर्ण मौकों पर जैसे वर्ष 2020 में भी श्रीनगर से करीब 57 किमी दूर ऋषिकेश की ओर तोताघाटी में चौडीकरण के दौरान राजमार्ग ऐसा टूटा कि कई महीने की कोशिशों के बाद भी नहीं खुला | जब कई बड़ी बड़ी मशीनें क्षतिग्रस्त हो गईं और इंजीनियरों की बुद्धि भी जबाब दे गयी तो थके हारे पीडब्लूडी ने अक्तूबर माह में टिहरी स्थित क्षेत्रीय चमराड़ा देवी की शरण ली थी | जिसके बाद पीडब्लूडी अभियन्ताओं और ठेकेदार के तोताघाटी में नया मंदिर बनाने के संकल्प के बाद ही राजमार्ग खुल पाया था |
इससे से बड़ी दिक्कत बीआरओ के सामने हर छोटी बड़ी बारिश में होने वाले सिरोहबगड़ भूस्खलन से निजात पाने की थी | वर्ष में कई मर्तबा श्रीनगर-रुद्रप्रयाग के बीच सिरोहबगड़ में लाख कोशिशों के बाद भी भूस्खलन के चलते यातायात सामान्य नहीं हो पाता था। भू-स्खलन से होने वाली क्षति और बीआरओ की बार बार होने वाली फजीहत ने उसके अधिकारियों को भगवान भोलेनाथ की शरण में पहुंचा दिया | दरअसल पूर्व में चौडीकरण के दौरान एक शिव मंदिर को तोड़ना पड़ा था इसलिए बीआरओ ने वहाँ नया शिवजी का मंदिर स्थापित किया । जिसके बाद से ही वहाँ स्थिति नियंत्रण में आई है ।
शायद ऐसे ही चमत्कारों का प्रभाव है कि उत्तराखंड के दुर्गम सड़कों पर निर्जन स्थानों में भी अमूमन ऐसे कई छोटे बड़े मंदिर आपको नज़र आएंगे | जिन्हे सड़क निर्माण के दौरान कार्यदायी संस्था द्वारा बनाया गया | अब चूंकि बरसात का मौसम सर पर है, लिहाजा इस दौरान कार्य करना तो दूर सड़क को सुचारु रखना ही बड़ी चुनौती होता है | उस पर जिसका नाम ही आल वैदर रोड हो तो उसके हमेशा खुले रहने की उम्मीदें कुछ ज्यादा ही रहेगी | वहीं मानसून के बाद विधानसभा चुनावों में भी अधिक समय नहीं है और इसका पूर्ण होना न होना पक्ष विपक्ष के लिए बड़ा चुनावी मुद्दा है | लिहाजा सरकार का इस प्रोजेक्ट को हर हालत में पूर्ण करने के निर्देशों ने संबन्धित अधिकारियों को ईश्वर की शरण में पहुंचा दिया है | बरहाल अब प्रभ की कृपा हो या निर्माण ऐजेंसी की मेहनत, चार धाम यात्रा मार्ग का कार्य समय से पूरा होने में आम जनता और पर्यटकों को सबसे अधिक सहूलियत मिलने वाली है |