देहरादून | उत्तराखंड में चुनावी पारा गरम है लेकिन कॉंग्रेस पार्टी का प्रचार तंत्र ठंडा पड़ा है | एक और जहां उनकी पार्टी के सबसे बड़े सक्रिय नेता राहुल गांधी के प्रदेश में कार्यक्रम का अता पता नहीं है वहीं पार्टी की दूसरी बड़ी नेता प्रियंका का श्रीनगर जनसभा कार्यक्रम कोरोना की आड़ में क्या टला, वह तो राज्य के चुनावी सीन से गायब ही हो गयी | रही बात उनकी पार्टी के अन्य नेताओं की तो कोई भी कोंग्रेसी उम्मीदवार अपने किसी भी नेता की सभा नहीं चाहता है | यही वजह है कि कॉंग्रेस को स्टार प्रचारकों की लिस्ट तैयार कराने के लिए नाम तक नहीं मिल रहे हैं |
दो दिन पहले भाजपा ने राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए अपनी स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी कर दी, लेकिन हमेशा की तरह कॉंग्रेस पार्टी की सूची का इंतजार जारी है | नामांकन भरने की अंतिम तारीख भी निकल गयी, लेकिन राहुल गांधी समेत किसी बड़े कॉंग्रेस नेता का कार्यक्रम फाइनल नहीं हुआ है | जहां एक और भाजपा में गृह मंत्री अमित शाह, जे पी नड़ड़ा, नितिन गडकरी, राजनाथ समेत अनेक बड़े नेताओं के कार्यक्रम सम्पन्न हुए हैं लेकिन इस दौरान कॉंग्रेस एक भी बड़ा कार्यक्रम प्रदेश में आयोजित कर पायी सिवाय घोषणापत्र लॉंच करने के | हालांकि मुख्यमंत्री बनने की चाहत रखने वाले पूर्व सीएम हरीश रावत पहले ही कह चुके हैं कि उन्हे प्रचार के लिए किसी केंद्रीय नेता की जरूरत नहीं है, इशारा साफ था कि उन्हे राहुल-प्रियंका के करिश्मे पर कतई यकीन नहीं है | वहीं कोरोनाकाल में वर्चुअल रैली और अन्य माध्यमों से जनता तक पहुँचने की भी तैयारी नहीं है | जानकारों के अनुशार चूंकि उन्हे अपने केंद्रीय नेताओं की परफ़ोर्मेंस पर यकीन नहीं है, इसलिए उनके स्थानीय नेताओं को लगता है कि कोशिश करना बेकार है |
देश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी, कॉंग्रेस ने अपने प्रचार के भोंपू के पीछे रणदीप सुरजेवाला और गौरव बल्लभ जैसे नए नवेले नेताओं को लगाया है जो चुनावी राजनीति के पिटे हुए मोहरे हैं | ऐसे में कॉंग्रेस के केंद्रीय दिग्गजों की चुनाव से दूरी पार्टी को राज्य की सत्ता से और अधिक दूर कर सकती है |