इन दिनों राम मंदिर निर्माण के लिए तथाकथित जमीन घोटालें में जिस नाम की सबसे अधिक चर्चा है वह मंदिर ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय | जो लोग चंपत राय और उनके सहयोगियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं वह या तो उनकी जीवन पृष्ठभूमि को जानते नहीं है या न जानने का स्वांग रचा रहे हैं | ऐसे तमाम सिद्धांतों की छन्नी वाले लोगों और हम सभी के लिए जानना जरूरी है उनकी जीवन यात्रा | वर्तमान में विश्वास करना असंभव सा है कि डिग्री कॉलेज में प्रवक्ता पद की सरकारी नौकरी और सम्पूर्ण जीवन देश, समाज और राम मंदिर आंदोलन पर न्यौछावर करने वाले चंपत राय जैसे लोग भी दुनिया में हैं |
सबसे अहम और सरल सवाल है कि कौन हैं चंपत राय ?
पूरा नाम चंपत राय बंसल, पिता श्री रामेश्वर बंसल और माता जी श्रीमति सावित्री देवी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नगीना कस्बे के सरायमीर मोहल्ले के रहने वाले हैं । 18 नवंबर 1946 को जन्मे चंपत राय को बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्कार पिता की संघ में सक्रिय भूमिका से मिले | संघ के पूर्णकालिक सदस्य रहते हुए वह धामपुर के आरएसएम डिग्री कॉलेज में रसायन विज्ञान के प्रोफेसर बन गए ।
आपातकाल के विरोध में जेल में बिताए 18 महीनों से जीवन का रास्ता बदल दिया
1975 में आपातकाल विरोधी के चलते इन्हे 18 महीने जेल में बिताने पड़े | सिद्धांतों और जुबान के इतने पक्के थे कि एक बार आपातकाल लगने के बाद इन्हे पुलिस गिरफ्तार करने कॉलेज में पहुंची तो चंपत राय ने पुलिस से कहा कि वो घर से कपड़े लेकर कोतवाली पहुंच रहे हैं । उन्होंने भागने के बजाय ठीक अपने कथनानुसार किया भी । वह घर जाने के बाद सीधे गिरफ्तारी देने कोतवाली पहुंचे और वहाँ से जेल | इसके बाद चंपत राय ने अपना इस्तीफा सौंपा और संघ के प्रचारक बनकर देशसेवा में लग गए।
संघ प्रचारक के तौर पर देश सेवा के अनंत जीवन का आगाज
चंपत राय पहले देहरादून, सहारनपुर में बतौर प्रचारक रहने के बाद मेरठ के विभाग प्रचारक भी रहे । 1986 में संघ शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें राम मंदिर आंदोलन को गति देने के लिए विश्व हिंदू परिषद में प्रांत संगठन मंत्री बनाकर भेज दिया । मंदिर आंदोलन के महत्वपूर्ण दौर और बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय वह वर्ष 1991 से 1996 तक वह क्षेत्रीय संगठन मंत्री बनकर अयोध्या रहे । इसके बाद 1996 में वो विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री, 2002 में संयुक्त महामंत्री और फिर अंतरराष्ट्रीय महामंत्री बनाए गए ।
गौरतलब है कि आजीवन अविवाहित रहने का प्रण लिए चंपत राय अपने घर भी यदाकदा ही जाते हैं | सहयोगी और उन्हे जानेने समझने वाले का कहना है कि राम मंदिर निर्माण के लिए चलाए गए आंदोलन से लेकर राम मंदिर के निर्माण के अब तक के सफर में चंपत राय का अमिट योगदान रहा है। लिहाजा तकनीकी तौर पर दो करोड़ की जमीन 18 करोड़ में खरीदने जैसी पंच लाइन का टीवी चैनलों को सूट होता देख, घपले का आरोप लगाना मंदिर निर्माण की भावना को बदनाम करने जैसा है | जब जमीनी खरीदफ़रोख्त की थोड़ी जानकारी रखने वाले भी इस तथाकथित डील के व्यवहारिक और साफ़सुथरा होने का अनुमान आसानी से लगा सकते हैं, ऐसे में राजनैतिक सनसनी फैलाने वाले इन आरोपों से मंदिर निर्माण के प्रयासों और विशेषकर चंपत राय के 50 वर्षों की तपस्या को भंग करना किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता है |