ऑलवेदर रोड निर्माण में विशालकाय मशीनों का गरूर चकनाचूर करने वाली तोता घाटी को तोता नाम से पहचाना जाना मात्र संयोग नही है । आप भी जानकर हैरान होंगे कि सिर्फ प्रचलन में ही नही है बल्कि सरकारी दस्तावेजों में भी यह जगह तोता घाटी के नाम से दर्ज है | दरअसल ऋषिकेश देवप्रयाग के मध्य स्थित इस क्षेत्र का नामांकरण हुआ था मशहूर ठेकेदार तोता राम रांगड के नाम पर । मात्र एक ठेकेदार के नाम पर पूरी घाटी का नाम होना, जानकर और अधिक अचरज हुआ न आपको भी | लेकिन यह तो कुछ भी नहीं है ठेकेदार तोता राम के काम के आगे जिन्होने आज़ादी से पूर्व ही हाथों के औजारों से इस घाटी की हार्ड रॉक की विशाल चट्टानों का सीना चीर कर सड़क बनाई थी | यही वो सड़क है जिसके चौडीकरण के लिए आज के आधुनिक युग में भी बड़ी बड़ी मशीनों के वावजूद इस घाटी में चट्टानों को तोड़ना दूभर साबित हो रहा है | शायद ऐसे कार्यों के लिये ही कहावत कही जाती है पहाड तोड़ने जैसा काम ।
अक्सर मानसून के सीजन में मार्ग बन्द होने की टीवी, समाचार पत्रों की सूचनाओं में यदि कोई नाम सबसे आधिक आता है तो वह है तोता घाटी । ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर व्यासी के बाद और साकनीधार से पहले विशालकाय चट्टानों से बनी घाटी का नाम है तोता घाटी । इस घाटी की चट्टानों के बीच से गुजरने का अनुभव जितना रोमांचकारी है, उतनी ही रोचक है यहां सड़क निर्माण और इस घाटी के नामांकरण से जुड़ी कहानी | 1931 में ऋषिकेश से श्रीनगर की सड़क के निर्माण का कार्य प्रारम्भ किया गया तो इस घाटी में जबर्दस्त हार्ड रॉक होने के कारण कोई भी ठेकेदार कार्य करने के लिए तैयार नहीं हुआ | तब टिहरी जिले के प्रताप नगर ब्लॉक की भदूरा पट्टी के रौणिया गांव के ठेकेदार तोता सिंह रांगड़ इस शर्त पर सड़क बनाने को तैयार हुए कि इस जगह का नामकरण उनके नाम पर किया जाए ।
आज के दौर में जब अत्याधुनिक मशीनें और तकनीक है, तब भी ऑलवेदर रोड निर्माण में इस पहाड़ी को काटने में कंस्ट्रक्शन कंपनी को ऐडी चोटी का दम लगाना पड़ रहा है । सालों इस पूरे इलाके में दर्जनों मशीनें लगी तो भी अभी तक पूरी तरह से पहाड़ी को नहीं काटा जा सका है । कठिन परिस्थितियों के चलते ही इससे पहले जब हाईवे चौड़ीकरण का काम हुआ, तब भी इस जगह के साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की गई । अपनी जिद्द और नाम की खातिर 4 वर्षों की कमरतोड़ मेहनत और जीवन भर की पूंजी खर्च करने के बाद तोता राम यहाँ सड़क निर्माण में सफल रहे |
1935 में सड़क निर्माण सम्पन्न होने के बाद से ही इस जगह का नाम तोताघाटी रखा गया। खास बात यह है कि यह नाम केवल बोलचाल में नहीं, बल्कि राजपत्र में भी दर्ज है। ऋषिकेश में कैलाश गेट के पास कैलाश आश्रम की बाउंड्रीवाल पर लगा पत्थर आज भी तोता राम के इस अदंभय साहस और मेहनत की गवाई देता है |