देहरादून/ हरिद्वार । विगत 491 वर्षों के कालखंड में श्री राम जन्मभूमि के लिए लड़ी 76 बड़ी लड़ाइयों में 4.5 लाख से अधिक सनातनियों ने प्राणोत्सर्ग दिया । आजादी के बाद भी हजारों रामभक्तों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया और लाखों ने अपना जीवन दांव पर लगाया । आज जब राष्ट्रीय सांस्कृतिक स्वाभिमान का मंदिर आकार ले रहा है तो समस्त सनातन समाज इस आंदोलन में शामिल रहे सभी रामभक्तों के योगदान के प्रति हमेशा कृतज्ञ रहेगा ।
हरिद्वार से देवभूमि के वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रदीप गर्ग की श्री राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े अनुभव की ब्लैक एन व्हाइट तस्वीर, प्राण प्रतिष्ठा के साथ रंगीन होती जा रही है । उनके द्वारा साझा अपने अनुभव हम उनके शब्दों में साझा कर रहे हैं
“नब्बे के दशक का वह स्वर्णिम समय. राम मंदिर निर्माण के लिए घर घर से राम शिला पूजन। मुझे भी सौभाग्य मिला कि मै परिवार के साथ इन पूजीत रामशिलाओ को सिर पर रखकर निकला। चौक बाजार कनखल मे राममय वातावरण मे गगनभेदी नारों की हुंकार ” रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे “। राम का वह कारज प्रभु राम ने सिद्ध कर दिया। इन रामशिलाओ को मंदिर निर्माण मे लगाया गया। राम मंदिर आंदोलन के वे पल अविस्मरणीय थे। जय श्री राम रामशिला लिए पिताजी के साथ लगभग 34 साल पुरानी यादगार फोटो उस समय की ही है। ठीक उसी समय एक फोटो में राम मंदिर आंदोलन मे रूड़की जेल भेजे गए मेरे पिता श्री राजेंद्र कुमार गर्ग (पीछे बैठे हुए ) छोटा भाई अरुण (बाएँ हाथ पर किनारे बैठे हुए ), साथ मे दो अन्य बंधु। दीपावली का समय था, इनके साथ परिवार के अन्य दो लोग भी मेरठ जेल मे थे। राम कारज मे वह डेढ़ महीने का समय भी बीत ही गया। सुखद परिणीति अब हुई, भव्य राम मंदिर निर्माण के साथ। हमारा परम सौभाग्य कि इस महान कार्य मे हमारे परिवार का भी गिलहरी प्रयास फलीभूत हुआ। जय श्री राम. “….प्रदीप गर्ग