अक्सर राम मंदिर निर्माण की पैरवी और इस्लाम की आलोचना के चलते कट्टरपंथियों के निशाने पर रहने वाले यूपी शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने इस्लाम छोड़कर हिन्दू धर्म अपना लिया है। इससे पहले मृत्यु होने पर अंतिम संस्कार हिन्दू रीति रिवाज से करने की अपनी वसीयत बनाने वाले रिजवी जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के नाम से पहचाने जाएँगे | गाजियाबाद के डासना मंदिर में जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि ने उनका सनातन धर्म में प्रवेश कराया|
धर्म परिवर्तन कर सबको चौंकाने वाले वसीम रिजवी का दावा है कि जब मुझे इस्लाम से निकाल ही दिया गया है, तो ये मेरी मर्जी है कि मैं किस धर्म को स्वीकार करूं। मैंने सनातन धर्म चुना, क्योंकि दुनिया का सबसे पुराना धर्म है। सनातन धर्म ग्रहण करने के बाद रिजवी का शुद्धिकरण किया गया। हवन यज्ञ व अन्य संस्कार महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि की मौजूदगी में कराये गए | इस अवसर पर उन्होने इस्लाम को धर्म मानने से भी इंकार कर दिया और 1400 वर्ष पहले बनाया गया आतंकवादियों का समूह करार दिया | उन्होने कहा कि मैंने इस्लाम धर्म को छोड़ा नहीं है। मुझे तो वहां से निकाला गया है। हम तो इस्लाम में सुधार लाकर उसे बदलना चाहते थे। लेकिन मुझे इस्लाम से निकाला गया, मेरे सिर पर इनाम पर इनाम घोषित किए गए |
मुस्लिम स्कॉलर वसीम रिजवी से जुड़े हालिया चर्चित विवाद इस प्रकार से है
कुछ दिनों पहले ही उन्होने हरिद्वार में एक कार्यक्रम के दौरान अपनी मृत्यु होने पर शव का अंतिम संस्कार हिंदू रीति से कराने की इच्छा जताई थी
वसीम रिजवी कुरान से 26 आयत हटाने को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी
सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। वह हिंदुओं की जगह है और हिंदुओं को दी जाए और वहां राम मंदिर बनाया जाए।
हाल में ही लिखी अपनी पुस्तक मोहम्मद के चलते कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं रिजवी
उनकी इस पुस्तक ‘मोहम्मद‘ को केकर लेकर सियासी हलचल है। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इसे किताब के जरिये पैगंबर की शान में गुस्ताखी बताया है। वहीं इसके बाद लगातार धमकी मिलने पर रिजवी ने बयान जारी करके कहा कि उनकी कभी भी हत्या हो सकती है।
कौन हैं वसीम रिजवी?
जाने माने इस्लाम के जानकार वसीम रिजवी मूल रूप से लखनऊ के निवासी हैं जो आपको विगत कुछ वर्षों से राम मंदिर निर्माण और इस्लाम में सुधार को लेकर अक्सर टीवी डिबेट में नज़र आए होंगे। वह वर्ष 2000 में लखनऊ के मोहल्ला कश्मीरी वार्ड से सपा के नगरसेवक चुने गए। उसके बाद 2008 में उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य और फिर बाद में चेयरमैन भी बने। इस्लाम में मौजूद बुराइयों की आलोचना के चलते लगातार कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं |
फिलहाल उनका सनातन धर्म अपनाना वो भी यूपी चुनाव के मौके पर, एक बार फिर धर्म परिवर्तन की बहस को तेज करने वाला है|