देहरादून। ‘माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को पहली बार नापने वाले सर जॉर्ज एवरेस्ट और उनकी कोशिशों का इतिहास समेटे उनका आशियाना और प्रयोगशाला पुनः अपने वास्तविक स्वरूप में आपका इंतजार कर रही है | क्यूंकि उत्तराखंड सरकार की इसके जीर्णोद्धार कोशिशों के बाद मसूरी स्थित यह ऐतिहासिक पर्यटक स्थल दोबारा आम जनता के लिए दोबारा खुल जाएगा सतपाल महाराज के लोकार्पण के बाद |
पहाड़ों की रानी मसूरी में पर्यटन के मशहूर स्थलों में एक है हाथी पाँव स्थित जॉर्ज एवरेस्ट भवन और प्रयोगशाला | जैसे कि नाम से पता चल जाता है कि यहाँ पहली बार एवरेस्ट की सही ऊंचाई और लोकेशन बताने वाले सर्वेयर एवं जियोग्राफर सर जॉर्ज एवरेस्ट ने अपने जीवन का लंबा अर्सा यहाँ बिताया था | लंबे समय से 1865 में निर्मित यह आवासीय परिसर और प्रयोगशाला का जीर्णशीर्ण हालत में थी | इसके जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया 18 जनवरी 2019 को उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने | 23 करोड़ 69 लाख 47 हजार रुपये की लागत से इस क्षेत्र के जीर्णोद्धार कार्य समाप्त हो गया है और मौका है लोकार्पण कार्यक्रम का | जो 7 दिसंबर को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की उपस्थिती में सम्पन्न होगा |
विभाग द्धारा दी गयी जानकारी के अनुशार इस ऐतिहासिक सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस का जीर्णोद्धार कार्य मूल इसके स्वरूप को बरकरार रखते हुए अंग्रेजों की तर्ज पर सीमेंट की जगह चक्की में पीस कर बनाए गए मिश्रण से किया गया है। इसमें चक्की में चूना, सुर्खी, मेथी और उड़द की दाल को पानी के साथ पीसकर सीमेंट जैसा लेप बना कर लाहौरी ईंटों का प्रयोग किया गया है।
उत्तराखंड के परंपरागत लकड़ी के यहाँ बनाए गए प्रतीक्षालय पर्यटकों को बेहतर और आनंदमय अनुभव दे रहे हैं। इसके अतिरिक्त पर्यटकों को बेहतर सुविधा देने के लिए जगह-जगह सूचना पट लगाए गए हैं। दिन प्रतिदिन जॉर्ज एवरेस्ट पर पर्यटकों के बढ़ते दबाव को देखते हुए बुम बैरियर के पास पार्किंग स्थल बनाने के साथ रिसेप्शन काउंटर भी बनाया गया है। जहां से पर्यटकों को जॉर्ज एवरेस्ट से संबंधित सभी जानकारियां आसानी से उपलब्ध कराई जा रही है।
ऐसे में यदि आप प्रकृति प्रेमी हों और इतिहास में भी रुचि रखते हों तो सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस आपके लिए बेहतर विकल्ल्प हो सकता है |