CDS जनरल विपिन रावत के निधन के साथ ही एमआई-17 हेलिकॉप्टर का उत्तराखंड के साथ एक और दुखद दुर्योग जुड़ गया है| विगत 8 सालों में भारतीय वायुसेना के इस अत्याधुनिक चौपर की यह तीसरी दुर्घटना उत्तराखंड के साथ हुई है जिसमें कुल 33 जाबांज अपनी जान गंवा चुके हैं | इससे पहले 2013 व 2018 में रेसक्यू ऑपरेशन के दौरान दो मर्तबा यह हेलिकॉप्टर केदारनाथ में दुर्घटनाग्रस्त हो चुका है|
8 दिसंबर को तमिलनाडु के सेना के वैलिग्टन मुख्यलाय के नजदीक हुई हेलिकॉप्टर दुर्घटना में CDS जनरल विपिन रावत का पत्नी समेत कुल 13 सैन्यकर्मियों के निधन से समूचा देश स्तब्ध है | प्रत्येक देशवासी के दुख और पीढ़ा से भरे मन में यह सवाल भी टीस रहा है कि भारतीय वायुसेना के आधुनिकतम और सबसे सुरक्षित एमआई-17 कैसे क्रेस हो गया? हालांकि उत्तराखंडवासियों के लिए यह सवाल कोई नया नहीं है क्यूंकि इससे पूर्व भी एमआई-17 हेलिकॉप्टर दुर्घटना के दो-दो दंश वह झेल चुके हैं | साल 2008 में सेना के बेड़े में शामिल रूस निर्मित इस अत्याधुनिक चौपर की पहली दुर्घटना केदारनाथ आपदा राहत कार्यों के दौरान 25 जून 2013 में हुई थी | इस समय केदारनाथ से वापिस आते समय गौरीकुंड के पास यह हेलिकॉप्टर क्रेस हो गया था जिसमें 5 क्रू मेम्बर समेत कुल 20 लोगों की मौत हो गयी थी| बाद में जांच में दुर्घटना का कारण केदार घाटी में अचानक चौपर के धुंध में फंस जाना था, जैसा अभी हुई इस दुर्घटना को लेकर अमुमान लगाया जा रहा है| इसके उपरांत एक बार फिर 3 अप्रैल 2018 को एक बार पुनः आपदा के दौरान बचाव कार्यों के दौरान केदारनाथ मंदिर के पास एक एमआई-17 हेलिकॉप्टर क्षतिग्रस्त हो गया था | लेकिन सुखद रहा कि इस घटना में सभी 6 लोगों को बचा लिया गया था | इसकी जांच में पाया गया कि हेलिकॉप्टर वहाँ लगे तारों में उलझ गया था |
बेशक एमआई-17 हेलिकॉप्टर की क्षमता और तकनीक को लेकर अभी किसी तरह का संदेह करना ठीक नहीं है, लेकिन इसकी उड़ान उत्तराखंड के लोगों के लिए किसी दुस्वप्न से कम नहीं होगा |