इस साल की जन्माष्टमी कश्मीरी हिंदुओं के लिए उस समय बेहद खास बन गयी, जब उत्तरी कश्मीर में तीन दशकों बाद परंपरागत श्री कृष्ण शोभा यात्रा निकाली गयी | इतना ही नहीं वर्षों बाद श्रीनगर के लाल चौक समेत घाटी के विभिन्न स्थानों पर कृष्णोत्सव कार्यक्रम आतंक के साये से दूर धूम धाम से मनाया गया | इस अवसर पर लोगों ने घाटी को मौजूदा स्थिति में लाने के लिए मोदी सरकार की कोशिशों का तहे दिल से धन्यवाद किया |
मोदी सरकार की कश्मीर नीति का असर जमीन पर दिखने लगा है | आज जब देशवासी कान्हा के आगमन की खुशी में जन्माष्टमी का त्योहार मनाने में मगन थे, तो इस बार की जन्माष्टमी कश्मीरी हिंदुओं के लिए भी नयी उम्मीद और खुशी लेकर आयी । वजह है 32 वर्षों की आतंकी स्याह रात्रि के बाद उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा में कश्मीरी पंडितों का पीढ़ियों से चली आ रही प्रभात फेरी का परंपरागत ढंग से मनाया जाना । इससे पूर्व उत्तरी कश्मीर में इस तरह की शोभा यात्रा अंतिम बार 1989 में निकाली गयी थी | उसके बाद घाटी में आतंकवाद ने घाटी के हिंदुओं पर ऐसा कहर बरपाया कि किसी सरकार की भी हिम्मत नहीं हुई शांति से ऐसा कोई धार्मिक जश्न मनाया जाये | आज की इस प्रभात फेरी की शुरुआत गणपत्यार मंदिर से हुई और जैंदार मोहल्ला, जहांगीर चौक, मौलाना आजाद रोड होते हुए रेजीडेंसी रोड तक पहुंची।
सर्वाधिक आतंकग्रस्त उत्तरी कश्मीर की फिजाँ में जब ऐसा सेलिब्रेशन हुआ तो श्रीनगर भी कैसे पीछे छूटता | यहाँ भी लाल चौक में जन्माष्टमी के सेलिब्रेशन में लोग नाचते गाते हुए नज़र आए | लोगों ने भी जगह जगह प्रभात फेरी का स्वागत किया | हालांकि राज्य सरकार ने इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतेजाम किए हुए थे | रक्षा विशेषज्ञों का मानना है हिंदुओं के इस महत्वपूर्ण त्यौहार का घाटी में शांतपूर्ण ढंग से मनाए जाने के पीछे असल वजह है मोदी सरकार की आतंकवाद को लेकर नो टोलेरेन्स नीति | यही कारण है कि आतंक की कमजोर होती पकड़ ने उनके स्थानीय समर्थकों के हौसलों को पूरी तरह तोड़ दिया है |