कोरोना पर नियंत्रण के बाद विगत डेढ़ साल में सबसे बड़ी खुशखबरी आने वाली है दिल्ली बार्डर पर चल रहे किसानों के धरने से | सूत्रों के अनुशार कृषि सुधार कानूनों की संसद में वापिसी को देखते हुए पंजाब के 32 किसान संघटनों में सिधु बार्डर से घर वापिसी पर सहमति बन गयी है | उम्मीद की जा रही है कि अगले दो दिन में किसान आंदोलन समाप्ति की घोषणा हो जाएगी, जिसके लिए 1 दिसंबर को किसान संघटनों ने महत्वपूर्ण मीटिंग बुलाई है |
गौरतलब है कि पीएम मोदी द्धारा 3 कृषि सुधार कानून वापिस लेने के निर्णय के बाद देश की निगाहें आंदोलनकारी किसान संघटनों के फैसलों पर टिकी हुई है | जिसको देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के 42 लोगों की कमेटी की इमरजेंसी मीटिंग 4 दिसंबर को बुलाई गयी थी | लेकिन केंद्र सरकार की कानून वापिसी को लेकर दिखाई गयी तेजी को देखते हुए अब मीटिंग 1 दिसंबर को ही बुला ली गयी है | मोर्चे में शामिल अधिकांश किसान नेताओं का मानना है कि हम जीत हासिल कर चुके हैं। अब आंदोलन का कोई बहाना नहीं है। मोदी सरकार ने तेजी दिखाते हुए कानून वापिसी को संसद पास कराने से सभी को संतोष है | पराली और बिजली एक्ट से किसानों को निकाल दिया गया है। रही बात MSP की तो उस पर केंद्र सरकार ने कमेटी बनाने की बात कही है। किसान संघटन चाहते हैं कि उनकी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में ऐलान कर दें। वहीं किसानों पर दर्ज़ मुकद्दमों को वापिस लेने का अधिकार राज्य सरकारों का है | यह तमाम कारण हैं कि आंदोलन पर निर्णय के लिए मीटिंग की तारीख को घटकर 1 दिसंबर कर दिया गया है |
उम्मीद की जा रही है कि पंजाब में जारी सभी तरह के आंदोलनों को भी समाप्त कर दिया जाएगा, चाहे वह टोल प्लाजा पर लगे धरने हटाने हो या रैलियां कर रहे नेताओं विशेषकर भाजपा का विरोध भी बंद हो सकता है। सूत्रों का कहना है कि कम से कम पंजाब में आंदोलन वापिसी का प्रस्ताव पूरी तरह से तैयार है बस केंद्र की एक दो घोषणाओं के औपचारिक ऐलान का इंतजार है | उम्मीद की जा रही है कि पंजाब के संगठनों के आंदोलन वापिसी के फैसले के बाद अन्य किसान संघटनों का भी टकराव छोड़ने के लिए तैयार होना तय है |