देहरादून | हिन्दु लडकियों और हिन्दू संस्कृति का अपमान करने वालोँ में एक और वरिष्ठतम नौकरशाह का नाम जुड़ गया है और वह है पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एस.वाय. कुरैशी का । उन्होने एक मीडिया हाऊस को दिये अपने इंटरव्यू में आरोप लगाया कि हिंदू पढ़ी-लिखी लड़कियां पढ़े-लिखे मुसलमान लड़कों को उड़ाकर ले जाती हैं । उनका हिन्दू लड़कियों विशेषकर महिलाओं को लेकर दिया यह अपमानजनक बयान उच्च पदों पर विराजमान रहे शीर्ष लोगों की छोटी मानसिकता को उजागर करता है | इतना ही नहीं कभी चुनाव आयुक्त रहे कुरेशी को योगी का चयन भी भी सांप्रदायिकता की जीत नज़र आती है |
बड़े बड़े संवैधानिक पदों से उतरने के बाद धार्मिक सहमति के दलदल में उतरने वालों में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के बाद एक और नाम शामिल हो गया है पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एस. वाय. कुरैशी का | जिन्होने अपने एक साक्षात्कार में लव जिहाद की पीड़ित लड़कियों को ही मुस्लिम लड़कों का अपहरणकर्ता बता डाला | उन्होने आरोप लगाते हुए कहा कि हिन्दू हिंदू पढ़ी-लिखी लड़कियां पढ़े-लिखे मुसलमान लड़कों को उड़ाकर ले जाती हैं । मुसलमान औरतों के एंगल से इसे किसी ने देखा ही नहीं। तीन तलाक के कानून पर उन्होने कहा कि तीन तलाक कानून का मुसलमान औरतों को नुकसान ही हुआ है। लव जिहाद, हिजाब आदि तमाम विवादों को मुस्लिमों को बदनाम करने की कोशिश बताया | कश्मीर फाइल फिल्म को उन्होने आतंकवादियों की मंशा पूरी करने वाला बताते हुए कहा कि ये सच है पंडितों को मारा लेकिन मुसलमानों को भी मारा ।
कभी भारतीय लोकतन्त्र की नीव चुनाव आयोग के शीर्ष पद पर बैठने वाले कुरेशी को जनता के मतों से हुई योगी की जीत सांप्रदायिकता की ही जीत नज़र आती है। उन्होने आरोप लगाया कि देश की जनता को तेजी से सांप्रदायिक बनवाया जा रहा है। हिजाब विवाद पर टिप्पणी करते हुए उन्होने कहा कि स्कूल यूनिफॉर्म में सिखों की पगड़ी, सिंदूर की इजाजत है तो फिर हिजाब से कैसी दिक्कत । हिजाब जरूरी है या नहीं ये मौलाना बताएंगे, जज नहीं ।
अफसोस होता है इतना प्रशासनिक व संवैधानिक अनुभव वाले व्यक्तियों का धर्म या समाज विशेष की कमियों को उचित ठहराने के लिए अपनी बौद्धिक क्षमता का दुरुपयोग करने से | साथ डर लगता है यह सोच कर भी इसी विचारधारा के साथ इन्होने पूर्व में किस तरह समाज और सिस्टम को सुधारने का कार्य किया होगा |