देहरादून । भाजपा ने कॉंग्रेस पर वामपंथी संगठनों की आड़ में जोशीमठ के लोगों की भावनाओं को भड़काकर विकास एवं देश सुरक्षा से जुड़ी परियोजनाओं में बाधा डालने का आरोप लगाया है।
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि राहत व पुनर्वास की योजना को लेकर प्रश्न स्थानीय नहीं बल्कि बाहर से आए तथाकथित वामपंथी ऐक्टिविस्ट उठा रहे है और कॉंग्रेस के नेता व स्थानीय विधायक न तो वह आपदा प्रबंधन की बैठकों में जाते हैं और न ही कोई सुझाव देते हैं। कांग्रेस मूक दर्शक बनकर नौटंकी का हिस्सा बनी है।
चौहान ने पूछा कि कॉंग्रेस बताए उनके कितने विधायकों और नेताओं ने प्रभावितों के लिए राहत कार्य किए या सीएम राहत कोष में कोई योगदान दिया।
मनवीर सिंह चौहान ने कहा जो कांग्रेसी व वामपंथी विचारधारा के लोग आंदोलन की आड़ में विस्थापन में हो रही देरी को लेकर स्थानीय जनता को भड़का रहे हैं, उन्हे भली भाँति जानकारी होगी कि इस तरह की अप्रत्याशित आपदा में किसी भी सरकार की पहली प्राथमिकता जान माल की रक्षा करना होता है। यह उनके लिए भी सुकून की बात है कि
कि सरकार के प्रयासों के चलते अभी तक ऐसी कोई हानि नहीं हुई है। इसके बाद सरकार की कोशिश है कि स्थानीय व बाहर से आने वाले पर्यटकों के मन से आपदा का अनावश्यक भय समाप्त करे, ताकि स्थानीय व्यवसाय व रोजगार पर असर न पड़े | सभी जानते हैं कि आपदा प्रबंधन प्रक्रिया अंतिम चरण में है जिसमें अब सिर्फ विशेषज्ञ समूहों की अंतिम रिपोर्ट के आने का इंतजार सभी को है। जिसके आधार पर पुनर्वास या विस्थापन की प्रक्रिया को बिना एक क्षण गवाएँ शुरू किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर धामी व प्रदेश अध्यक्ष श्री महेंद्र भट्ट पहले ही जोशीमठ आपदा में सबसे बेहतर राहत पैकेज को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर कर चुके हैं |
चौहान ने कॉंग्रेस पर आरोप लगाया कि उनके नेताओं को कश्मीर जाकर भारत जोड़ो यात्रा में जोशीमठ की छवि खराब करने की फुर्सत है, लेकिन आपदा प्रभावितों के बीच काम करने की नहीं। यही कारण है कि उनके स्थानीय विधायक न तो ग्राउंड ज़ीरो पर आपदा प्रबंधन की उच्चस्तरीय प्रबंधन की बैठक में जाते है और न ही कोई सुझाव पहुंचाते है। इस सबसे स्पष्ट होता है कि उनका मकसद जोशीमठ के लोगों की मदद करना नहीं बल्कि केवल और केवल राजनीतिक हित साधना है। उन्होने सवाल किया कि मुख्यमंत्री, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष समेत विधायकों ने एक माह के वेतन या पेंशन राशि आपदा राहत कोष में दी है, लेकिन कांग्रेस महज भाषण तक ही सीमित रही। जोशीमठ मुद्दे पर भी वह विकास व सामरिक महत्व की योजनाओं का खुला विरोध कर प्रदेश की राष्ट्रवादी जनता की नाराजगी भी मोल लेना नहीं चाहती और इन योजनाओं की गति को धीमा भी करना चाहती है। लिहाजा अब देश भर से आए वामपंथी संगठन के लोगों की आड़ में इन परियोजनाओं के विरोध का माहौल खड़ा करने का प्रयास कर रही है ।