फिल्मों के बाद अब विज्ञापन की दुनिया में भी तात्कालिक लाभ और प्रसिद्धि के लिए हिन्दू संस्कृति-रीतिरिवाजों के अपमान का चलन ज़ोरों पर हैं | इसी क्रम में एक विज्ञापन सामने आया अभिनेत्री आलिया भट्टा का, जिसमें वह दुल्हन बनकर कन्यादान की उस वैवाहिक परंपरा का अपमान करती नजर आती हैं जिसे सनातनी संस्कृति में सर्वश्रेष्ठ दान बताया गया है | सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक इस विज्ञापन का विरोध ज़ोर पकड़ने लगा है |
सबसे पहले जानते हैं क्या है इस विज्ञापन मे विवादित
ये विज्ञापन विशेषता वैवाहिक ड्रेसिंग की मशहूर ब्रांड मान्यवर मोहे का है। जिसमें फिल्मी अदाकारा आलिया भट्ट को दुल्हन के रूप में कन्यादान की परंपरा को दर्शाया गया है | विज्ञापन में इस परंपरा पर सवाल उठाते हुए कन्यादान की जगह कन्यामान की मांग की गई है । विज्ञापन में आलिया दुल्हन के रूप में अपने होने वाले पति के साथ मंडप में बैठी हैं। इस समय वह हर उस पल को याद करती दिखाई गयी हैं, कि कैसे उनके परिवार ने उन्हें एहसास दिलाया कि वो पराया धन है । साथ ही वह सोचती दिख रही हैं कि ‘क्या मैं दान की जाने वाली वस्तु हूं ? ऐसे में विज्ञापन कंपनी ने अतिउत्साह में कहा कि केवल कन्यादान ही क्यों। नया विचार कन्यामान ।
लोगों की इस विज्ञापन से नाराजगी की वजह
चूंकि विज्ञापन की थीम में नए विचार के नाम पर हिन्दू वैवाहिक रिवाजों पर चोट करना स्पष्ट नज़र आता है अब चूंकि सर्वविदित है कि हिंदू संस्कृति में कन्यादान को सबसे बड़ा दान माना जाता है । लिहाजा जैसे ही सोशल मीडिया पर ये विज्ञापन लोगों ने देखा, उनका भड़काना तय था | इस विज्ञापन को लेकर लोगों ने सवाल करने शुरू कर दिए है | साथ ही आलिया भट्ट को भी काफी ट्रोल किया जाना स्वाभाविक है । फेक फेमिनिज्म के नाम से सोशल मीडिया में ट्रेंड हो रहे इस विरोध में इस विज्ञापन की थीम को सीधे-सीधे सनातनी रीति रिवाजों पर हमला बताया जा रहा है । प्रत्येक राय में एक तर्क कॉमन है कि फिल्मों-विज्ञापनों में ये सब नए विचार हिन्दू धर्म पर ही क्यूँ प्रकट किए जाते हैं ? क्या कोई मुस्लिम या अन्य किसी धर्म को लेकर इस तरह की टिप्पणी कर सकता है ?
गौरतलब है कि इससे पूर्व भी इसी तरह के एक विज्ञापन में हिन्दू लड़की के मुस्लिम घर में शादी पर गृह प्रवेश के हिन्दू रिवाज होता दिखाने को लव जिहाद प्रेरित करने वाला बताकर जबर्दस्त विरोध किया गया था | हिन्दू समुदाय की नाराजगी को देखते हुए कंपनी को विज्ञापन वापिस भी लेना पड़ा था | फिलहाल कहना मुश्किल है कि इस विज्ञापन में विवादित थीम डालकर कंपनी का मकसद अभी तक हासिल हुआ या नहीं, लेकिन इतना तय कि देर सबेर कंपनी को अपना ये विज्ञापन वापिस लेना पड़ सकता है | क्यूंकि 2014 के बाद बहुसंख्यक वर्ग पर विवादित टिप्पणी कर लाभ के उद्देश्य से विवाद उपन्न करने वालों का परिणाम अच्छा नहीं रहा है |