भाजपा ने गुजरात में उत्तराखंड से भी अधिक चौंकाने वाला नाम दिया है | जो पुष्कर धामी के मात्र दो बार का विधायक होने और प्रशासनिक अनुभवहीनता पर प्रशनचिन्ह लगाते थे, अब गुजरात के नए सीएम का पहली बार के विधायक होने और मात्र नगरपालिका के प्रशासनिक कार्यों के अनुभव होने पर न जाने क्या टिप्पणी करेंगें ? डिप्टी सीएम, केंद्रीय मंत्री, प्रदेशाध्यक्ष समेत आधा दर्जन हाइ प्रोफ़ाइल नामों को दरकिनार बेहद लो प्रोफाइल भूपेन्द्र पटेल को राज्य की कमान सौंपने के बाद, शायद ही मीडिया और राजनैतिक विशेषज्ञ का बड़ा वर्ग, कभी भी भाजपा के सीएम चुनाव को लेकर अब अटकलें लगाएगा | फिलहाल हम यहाँ समझने का प्रयास करते हें कि वो कौन से अहम कारण हैं जिसके चलते पार्टी ने बिलकुल नए चेहरे पर भरोसा जताया है |
भूपेंद भाई पटेल की पाटीदार समाज में मजबूत पकड़ का होना
पूर्व सीएम केशुबाई पटेल के बाद राज्य के सबसे मजबूत पटेल यानि पाटीदार समाज में कोई सर्वमान्य नेता नहीं है यही वजह है कि विपक्ष हमेशा उन्हे भाजपा के विरोध में खड़े करने की कोशिश में रहता है | चूंकि भूपेन्द्र पटेल की समाज में अच्छी पकड़ है लिहाजा पार्टी और आरएसएस उन्हे सीएम बनाकर उनकी पाटीदार नेता की पहचान को और बढ़ा करना चाहती है |
आरएसएस की गुड बुक में एंट्री होना
RSS से लंबे वक्त का जुड़ाव और पार्टी कार्यकर्ताओं से लगातार संपर्क में रहना भी भूपेन्द्र पटेल के पक्ष में गया। वहीं मोदी-शाह की जोड़ी को भी उनका नाम स्वीकार्य था ।
हमेशा लो प्रोफाइल रहने के चलते बने सीएम मेटीरियल
बेहद सरल स्वभाव और मिलनसार व्यक्तित्व के चलते वह कार्यकर्ताओं में दादा के नाम से मशहूर थे | वावजूद इसके वह हमेशा किसी भी शोर शराबे से दूर रहना हाईकमान की पसंद बनने में अहम कारण बना |
किसी भी तरह की सत्ता विरोधी रुझान से दूर जनता के लिए पटेल बिलकुल फ्रेस चेहरा
चूंकि सीएम पद के बाकी दावेदार किसी न किसी रूप में सरकार में अहम पदों पर रहे है, जिसके कारण कहीं न कहीं एंटी इंकम्बेंसी का उनके साथ में आना तय था | मोदी-शाह गुजरात विधानसभा चुनावों को लेकर कोई भी जोखिम उठाने के मूड में नहीं हैं यही वजह वजह है कि तमाम सीनियर नामों को दरकिनार किया गया |
एक नज़र डालते हैं भूपेंद्र भाई पटेल के मुख्यमंत्री तक के सफर पर
वर्ष 1999 से 2000 और 2004 से 2005 तक मेमनगर नगरपालिका के चेयरमैन पद पर रहे।
वर्ष 2010 से 2015 तक अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन पद पर रहे।
वर्ष 2015-17 के दौरान अहमदाबाद अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी के चेयरमैन रहे ।
वर्ष 2017 में पहली बार घाटलोडिया सीट से रिकॉर्ड 1 लाख से ज्यादा वोट से जीत दर्ज विधायक ।
फिलहाल विपक्ष और विशेषकर कॉंग्रेस भाजपा पर राज्यों के सीएम ताश के पत्तों की तरह बदलने का आरोप लगा रही है, लेकिन बिना किसी शोर शराबे के लगातार कई राज्यों में आसानी से मुख्यमंत्री बदलना भाजपा संघटन की अंदरूनी मजबूती को दर्शाता है | क्यूंकि कॉंग्रेस शासित सभी राज्यों में भी सीएम बदलने को लेकर सिरफुटोव्वल चल रही है लेकिन मजाल है कि किसी भी सीएम को हाईकमान अब तक टस से मस कर पाया हो |