देहरादून | देश में नए राष्ट्रपति के नाम को लेकर मंथन अपने अंतिम चरण की और बढ़ गया है | हर आमोखास की जुबां पर नितीश कुमार, मायावती, राजनाथ सिंह, वैकया नायडू से लेकर अनेकों नाम तैर रहे हैं | भारत रत्न ऐ पी जे अब्दुल कलाम और प्रणव मुखर्जी से लेकर वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, लगभग सभी नामों पर भाजपा ने चौंकाने वाला निर्णय लिया | चूंकि राष्ट्रपति का मौजूदा कार्यकाल 24 जुलाई को पूरा होने जा रहा रहा है। लिहाजा तमाम सामाजिक व राजनैतिक समीकरणों को साधते हुए सत्ताधारी भाजपा में विचार विमर्श अंतिम दौर में पहुँच गया है |
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम के मद्देनजर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों व इससे पूर्व गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनावों के समीकरण को परखा जाएगा | लिहाजा भाजपा राष्ट्रपति पद के लिए किसी आदिवासी उम्मीदवार उतारकर देश को पहला आदिवासी राष्ट्रपति देने पर गंभीरता से विचार कर रही है। हाल ही में भाजपा की कई दौर की बैठकों में इस मुद्दे पर चर्चा की गयी है । गौरतलब है कि लोकसभा की 543 सीटों में से 47 एसटी वर्ग व 62 लोकसभा सीटों पर आदिवासी समुदाय प्रभावी है। हाल में होने वाले विधानसभा चुनावी राज्यों गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में आदिवासी की संख्या निर्णायक भूमिका अदा करती है। यहाँ गौरतलब है कि जिनमें गुजरात में इसी वर्ष के अंत में और मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में वर्ष 2023 में विधानसभा चुनाव होना है।
आदिवासी उम्मीदवार को लेकर भाजपा शीर्ष नेत्रत्व में जिन नामों पर मंथन हो रहा है वह हैं केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, जुअल ओरांव, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनसुईया उइके तथा पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू प्रमुख हैं | पार्टी रणनीतिकारों को उम्मीद है कि आदिवासी वोटों को नाराज करने का जोखिम एनसीपी और शिवसेना के लिए बेहद मुश्किल होगा | वहीं झारखंड में लोकसभा और विधानसभा में आदिवासी व एसटी वोटों का प्रभाव के चलते झामुमो इसका विरोध नहीं कर पाएगी। ठीक ऐसे ही हालत ओडिशा में होंगे और नवीन पटनायक का आदिवासी उम्मीदवार को समर्थन देना तय है।
फिलहाल इन तमाम राजनैतिक मजबूरियों से अलग इतना तो तय है कि पहले आदिवासी मूल के व्यक्ति का देश के सर्वोच्च पद पर बैठना लोकतन्त्र की अधिक मजबूती की दिशा में बड़ा कदम होगा |