यूं तो सुरक्षात्मक पहलू से हिजाब या बुर्का पहनने को लेकर बहस दुनिया भर के देशों में जारी है | हमारे देश में समाज का एक वर्ग इस विषय को महिला अधिकारों से जोड़कर शिक्षण संतानों का अनुशासन तोड़ने पर आमादा है वहीं दुनिया के कई देशों में हिजाब या बुर्का पहनना पूर्णतया प्रतिबंधित है | फिलहाल तो कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने का मुद्दा इस वक्त देश भर में विवाद का विषय बना हुआ है। लेकिन बहुत से लोगों को मालूम भी नहीं होगा कि हिजाब और बुर्के में क्या अंतर है और किन किन मुस्लिम देशों समेत अन्य देशों में इसको पहनने पर प्रतिबंध है | आइये इस विषय पर डालते हैं हम यहाँ एक नज़र ……..
हिजाब पर किन देशों में है प्रतिबंध ?
कोसोवो, अजरबैजान, ट्यूनीशिया और तुर्की जैसे मुस्लिम-बहुल देशों में पब्लिक स्कूलों और विश्वविद्यालयों या सरकारी भवनों में हिजाब पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इसी क्रम में सीरिया और मिस्र ने अपने विश्वविद्यालयों में चेहरे पर नकाब लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया। वहीं इससे उलट ईरान, अफगानिस्तान और इंडोनेशियाई प्रांत आचेह में कानून द्धारा हिजाब या बुर्का अनिवार्य है। वहीं इंडोनेशिया, मलेशिया, मोरक्को, ब्रूनी, मालदीव और सोमालिया में हिजाब अनिवार्य नहीं है। बहुत से यूरोपियन देशों में सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी तरह का पर्दा करना प्रतिबंधित है |
नकाब, बुर्के और हिजाब में अंतर –
नकाब- नकाब एक तरह से कपड़े का परदा होता है, जो सिर और चेहरे पर लगा होता है. इसमें महिला का चेहरा भी नज़र नहीं आता है| लेकिन, नकाब में आंखें कवर नहीं होती है और चेहरे पर भी यह बंधा होता है| साथ ही एक तरह का कपड़ा होता है, जिसमें महिला सिर से लेकर पांव तक ढकी रहती है और शरीर में सिर्फ आंखें ही नज़र आती हैं |
बुर्का– बुर्के में महिला पूरी तरह से ढकी होती हैं. इसमें सिर से लेकर पांव तक पूरा शरीर ढका रहता है, यहां तक कि आंख पर एक पर्दा रहता है| आंखों के सामने एक जालीदार कपड़ा होता है, जिससे कि महिला बाहर का देख सके. इसमें महिला के शरीर का कोई भी अंग दिखाई नहीं देता है |
हिजाब– हिसाब नकाब से काफी अलग होता है. हिजाब में एक कपड़ा होता है, जिससे महिला का सिर और गर्दन ढकी रहती है, लेकिन महिला का चेहरा दिखता रहता है| यह हर परंपरा और रिवाज या मान्यता के आधार पर तय होता है कि महिला क्या पहनती हैं| कहा जाता है कि इसमें बालों को पूरी तरह से ढकना होता है|
फिलहाल तो कर्नाटक के साथ साथ देश के तमाम राज्यों में हिजाब को लेकर राजनीति भी जारी है और आंदोलन भी | लिहाजा इस विवाद के आधिकारिक हल की उम्मीद अब हाईकोर्ट के निर्णय पर टिकी है |