लव जिहाद, नारकोटिक्स जिहाद के बाद अब एक और जिहाद, मार्क्स जिहाद की खूब चर्चा हैं बुद्धिजीवी गलियारों में । इस विवाद में भी एक ही चीज कॉमन है और वह है केरल से जुड़ी इसकी पहचान । पहली नज़र में जिहाद का यह विषय आपको भी अटपटा लगे लेकिन इस मुद्दे को उठाने वाले दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के तर्क सोचने पर अवश्य मजबूर करते हैं । लिहाजा हम यहां समझने की कोशिश करते हैं कि क्या है मार्क्स जिहाद ।
मार्क्स जिहाद’ का मुद्दा छेड़ने वाले प्रो. राकेश कुमार पांडे की RSS के स्वयंसेवक वाली पहचान को दरकिनार कर, इस विषय को तर्कों की कसौटी पर परखें तो उनके दावों में दम नज़र आता है । उन्होने केरल बोर्ड पर सवाल खड़े किये हैं कि कैसे दिल्ली युनिवर्सिटी में दाखिला लेने वालोँ में केरल की हिस्सेदारी 3 सालों में 2 फीसदी से बढकर 50 फीसदी तक पहुंच गई है । गणित विज्ञान विषय पर चलो यकीं भी किया जाये तो कला, इंग्लिश, समाज शाश्त्र समेत अन्य विस्तृत विषयों में भी केरल बोर्ड के हजारों छात्रों का एक ही वर्ष में 100 फीसदी अंक हासिल करना आसानी से गले उतरने वाला नही है । वह भी तब जब 2016 से पूर्व मात्र दर्जन भर छात्र शत प्रतिशत अंको को प्राप्त कर पाते थे ।
दिल्ली युनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज में फिजिक्स डिपार्टमेंट में प्रो. राकेश कुमार पांडे ने केरल बोर्ड पर मार्क्स जेहाद की आड़ में मार्क्सवाद फैलाने का आरोप लगया है । केरल के विद्यार्थियों पर निशाना साधते हुए कहा है कि एक ही बोर्ड के सैकड़ों छात्र भला बेस्ट 4 सब्जेक्ट में 100% अंक कैसे ला सकते हैं ? कमाल है इन 4 सब्जेक्ट्स में किसी के भी 99% नहीं ! वह इसे 100% अंकों के सहारे DU में दाखिला लेने वाले केरल बोर्ड के विद्यार्थियों की साल दर साल बढ़ती संख्या को दिल्ली यूनिवर्सिटी को दूसरा जेएनयू बनाने की साजिश करार देते है ।
फिलहाल सरल शब्दों में कहे तो लव को मैनिपुलेट कर लव जिहाद किया जाता है, नारकोटिक्स जिहाद में नशे का इस्तेमाल कर जिहाद किया जाता है। ठीक इसी तरह अंकों का इस्तेमाल कर एक खास विचारधारा को फैलाने का के षड्यंत्र को मार्क्स जेहाद कहा जा रहा है। दरसल यह थ्योरी तब संज्ञान में आयी जब DU में साल दर साल केरल से बेहतरीन अंडर ग्रेजुएट डिपार्टमेंट में दाखिला लेने वालों की संख्या अप्रत्याशित ढंग से बढ़ती जा रही है। इस मुद्दे को अधिक चर्चा तब मिली जब प्रोफेसर पांडेय ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि DU के एक कॉलेज के 20 सीटों वाले पाठ्यक्रम में 26 छात्रों को केवल इसलिए प्रवेश देना पड़ा, क्योंकि उन सभी के पास केरल बोर्ड से 100% अंक थे।
उनके अनुशार DU में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों के ट्रेंड का एनालिसिस कर आप इसको आसानी से समझा जा सकता है ।
प्रो. पांडे ने इसको लेकर ब्लॉग में भी लिखा कि 2020 में 940 विद्यार्थियों ने अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम में दाखिला लिया। इन सभी बच्चों के 4 बेस्ट सब्जेक्ट में 100% मार्क्स थे। 2016 में यह आंकड़ा 150 था और 2019 में बढ़कर 450 हो गया। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि इसमें केरल के विद्यार्थियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ । जहां एक और 2016 में केरल बोर्ड से महज 3 ऐसे छात्र थे जिनके 4 बेस्ट सब्जेक्ट में 100%अंक मिले थे जबकि 2019 में यह संख्या बढ़कर 205 हो गई। मात्र 3 सालों में केरल बोर्ड के DU में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों का संख्या ग्राफ 3 से 205 पहुंच गया। क्या यह नंबर किसी साजिश का इशारा नहीं करते?
मार्क्स जेहाद का विरोध करने वाले विचारकों का कहना है कि देश में केरल ही एक ऐसा राज्य बचा है जहां लेफ्ट विचारधारा वाली पार्टी की सरकार है। लिहाजा लेफ्ट पार्टियां JNU की तरह DU को भी वामपंथी विचारधारा का अड्डा बनाने की कोशिश कर रही है।
सबसे हैरानी की बात है कि केरल राज्य में ही अभी एक बेहद मशहूर चर्च के पादरी ने नारकोटिक्स जिहाद के मसले को उठाया था । वहीं लव जिहाद का मुद्दा तो केरल में चलकर देश का मुद्दा बन गया है। अब इन दो जिहाद के बाद एक नया ‘मार्क्स जिहाद’ का ऑरिजन भी केरल से पाया जाना विषय को अधिक गम्भीर करता है । लिहाजा इस मुद्दे पर गम्भीरता से विचार कर जांच किये जाने की आवश्यकता है ।