कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य का कॉंग्रेस में जाना तो महिनों पहले से तय था ।अब ऐसा क्यूँ हुआ इसके पीछे मौजूद कारणों में सबसे महत्वपूर्ण है हरीश रावत की हरी झण्डी का होना । कॉंग्रेस आलाकमान तो कब से भाजपा से अपने दिग्गजों की वपिसी के लिये पलक पांवडे बिछाये राह तक रही है । लेकिन हरदा के बैरियर से आगे आने की अनुमति नही मिल रही हैं । फिलहाल कॉंग्रेस में शामिल होने वाले संभावितों के नाम से अलग पहले चर्चा करते हैं यशपाल के इस कमाल पर ।
चूंकि यशपाल आर्य की शालीन राजनीति और लोप्रोफाईल लाइफ स्टाइल, किसी भी तरह से हरीश रावत के लिये चुनौती नही था। लिहाजा छह महीने पहले ही हरदा का पार्टी में वपिसी करने वालोँ के ग्रीन सिगनल का बयान आर्य को लेकर ही था
आने वाले समय में बढती उम्र और टिकट वितरण को लेकर भाजपा की रणनीति उन्हे रास आने की उम्मीद कम ही थी । क्युंकि पार्टी एक परिवार एक टिकट के तहत पिता पुत्र में से किसी एक को ही इस बार विधानसभा चाह्ती थी ।
आर्य हमेशा से मध्यवर्ती राजनीति करते आये हैं । वह जब कॉंग्रेस में तब भी उनके हरीश रावत से सम्बन्ध खराब नही थे । वहीं भाजपा में भी वह कभी किसी गुटबाजी में नज़र आये, यही वजह है कि भाजपा उनके पार्टी छोड़ने पर आधिक हमलावर नही है ।
दलित सीएम का शिगूफा छेडने वाले हरीश रावत का यह ऑफर सीधे सीधे यशपाल आर्य के लिये ही था । भाजपा में रहकर तो अगली बार मंत्री पद मिलना भी बेहद कठिन होने वाला था ।
यशपाल आर्य इस बार हल्द्वानी सीट से विधानसभा जाना चाहते थे जहां बड़ी मुस्लिम आबादी का साथ उन्हे कॉंग्रेस में रहकर ही मिल सकता है ।
फिलहाल आर्य की कॉंग्रेस में घर वपिसी पर भाजपा खेमे में आधिक हलचल नही हैं क्युंकि उनके जाने की सम्भावना पहले से ही थी । वहीं पार्टी दलित वोटों की नाराजगी के चलते पार्टी खुलकर आलोचना करने से बच रही है ।