निसंदेह पूर्व सीएम हरीश रावत, राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी है, सभी जानते है कि उनके प्रत्येक बयान में शब्द्श राजनैतिक निहितार्थ छुपे होते हैं | तभी भाजपा से घर वापिसी का स्वागत वाले उनके बयान ने कॉंग्रेस, भाजपा समेत तमाम राजनैतिक पंडितों की नींद उड़ाई हुई है | हरक, सतपाल, बहुगुणा समेत तमाम हैवीवेट मंत्रियों और नेताओं के नामों पर भाजपा से विदाई पर अटकलों का दौर जारी है | फिलहाल राजनीति में हमेशा असंभव में संभव तलाशते, बेवजह सनसनीखेज विश्लेषणों से हटकर विचार करें तो स्पष्ट नज़र आता है कि किस किसको है हरदा का घर वापिसी ग्रीन सिग्नल |
जानिए क्यूँ हुआ हरदा का हृदय परिवर्तन कोंग्रेसियों की भाजपा से घर वापिसी पर
“नीतिविहीन नीति ही राजनीति”, ये सिद्धांत यदि किसी पर सटीक बैठता है तो वो है कॉंग्रेस | वहीं गुटबाजी में एकता की नीति के कोंग्रेसी अनुशरण का सबसे अधिक खामियाजा भुगतने वाला उत्तराखंड का कोई नेता है तो वह है हरीश रावत | हरदा के घर वापिसी वाले दांव को समझने से पहले संक्षेप में जानना जरूरी है कि कल तक 2017 चुनाव में पार्टी छोड़ कर भाजपा में जाने वाले नेताओं की वापिसी की चर्चा भी हरीश रावत को गंवारा नहीं थी, रह रह कर उनके पार्टी में आने वाले तमाम कयासों पर वीटों लगाने वाले भी वही थे | लिहाजा अब ऐसा क्या हो गया कि हरदा का हृदय परिवर्तन हो गया | दरअसल रावत का पार्टी से बाहर गए दिग्गजों की वापिसी के विरोध में अपनाए कड़े रुख को ही त्रुप का इक्का मानकर उनके विरोधी आलाकमान के सामने पेश कर रहे हैं | प्रीतम सिंह, दिवंगत इन्दिरा हृदयेश समेत तमाम विरोधी का तर्क है कि संघटन की मजबूती के ऊपर हरदा अपने व्यक्तिगत द्वेष के चलते असंतुष्टों का वापिसी का विरोध कर रहे हैं | ऐसे में यदि उन्हे सीएम पद का चेहरा बनाया गया तो न केवल पार्टी से बाहर गए वरिष्ठ नेताओं की वापिसी होगी साथ ही आगामी चुनाव में गुटबाजी को बढ़ावा मिलेगा | अपने विरोधियों के इसी आरोप की काट में हरीश रावत ने भाजपा में गए नेताओं की घर वापिसी का दांव खेला है
लाख टके का सवाल किस किसको है रावत की हरी झंडी
राजनैतिक पंडितों से लेकर मीडिया में कयासों का बाज़ार गरम है कि पूर्व सीएम का भाजप से घर वापिसी के लिए किसे किसे ग्रीन सिग्नल है | भविष्य की राजनीति और अपने विरोध को लेकर 2002 और 2012 चुनाव उपरांत के इतिहास के मद्देनजर हरदा का सिग्नल न केबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को है, न पूर्व सीएम विजय बहुगुणा को है और न ही सतपाल महाराज को | पूर्व सीएम रावत का वापिसी को लेकर स्पष्ट इशारा है केबिनेट मंत्री और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष यशपाल आर्य समेत कुछ लो प्रोफ़ाइल वाले विधायकों और नेताओं के लिए | क्यूंकि आर्य के राजनीति का तरीका और अब तक रावत का विशेष विरोध न करने का इतिहास हरदा की संतुष्टि के लिए काफी है | हरदा की हरी झंडी और जिन विधायकों के लिए है वो हैं कुँवर प्रणव चैंपियन, उमेश शर्मा काऊ, प्रदीप बत्रा और कई अन्य पूर्व विधायकों के लिए | उन्हे भालिभांति एहसास है कि बहुगुणा, हरक या सतपाल का आना उनके विरोधियों को मजबूत करेगा |