नीरज चोपड़ा के स्वर्णिम भाले के टोकियो की जमीन पर गाड़ने के बाद से एक ही नारा हिंदुस्तान की फिजा में गूंज रहा है ………. तू भी है राणा का वंशज ….फेंक जहां तक भाला जाए …..| इस मशहूर पंक्तियों को लिखने वाले थे कौमी एकता के अलंबरदार मशहूर कवि वाहिद अली वाहिद | लेकिन अफसोस लखनऊ निवासी वाहिद अब इस दुनिया में नहीं है, इसी साल अप्रैल कोरोना ने उनको हमसे छीन लिया | आइए उनकी देशभक्ति से लबरेज इस कविता को पढ़कर देते हैं उन्हे श्र्द्धांजली |
कब तक बोझ संभाला जाए
द्वंद्व कहां तक पाला जाए
दूध छीन बच्चों के मुख से
क्यों नागों को पाला जाए
दोनों ओर लिखा हो भारत
सिक्का वही उछाला जाए
तू भी है राणा का वंशज
फेंक जहां तक भाला जाए
इस बिगड़ैल पड़ोसी को तो
फिर शीशे में ढाला जाए
तेरे मेरे दिल पर ताला
राम करें ये ताला जाए
वाहिद के घर दीप जले तो
मंदिर तलक उजाला जाए
कब तक बोझ संभाला जाए
युद्ध कहां तक टाला जाए
तू भी राणा का वंशज
फेंक जहां तक भाला जाए
कौमी एकता और राष्ट्रवादी विषयों पर अमूमन अपनी कलम चलाने वाले मशहूर कवि वाहिद अली वाहिद की दर्जनभर से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन हुआ है | वहीं कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया था । वह आवास एवं विकास परिषद में कार्यरत थे ।